The Kea: The World’s Rarest and Only Alpine Parrot
न्यूज़ीलैंड के बर्फीले पहाड़ों में रहने वाला केआ (Nestor notabilis) दुनिया का अकेला अल्पाइन तोता है। यह न केवल अपनी चतुराई और जिज्ञासु स्वभाव के लिए मशहूर है, बल्कि पर्यावरणविदों और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शरारती हरकतों और बुद्धिमत्ता के कारण इसे “पर्वतीय जीनियस” कहा जाता है।
केआ की विशेषताएं और शारीरिक बनावट:
केआ की लंबाई लगभग 46 सेंटीमीटर होती है और पंख फैलाव लगभग 1 मीटर तक होता है। इसका प्रमुख रंग हरा-भूरा है, जबकि पंखों का अंडरबेली नारंगी रंग का होता है। ये रंग न केवल इसे खूबसूरत बनाते हैं बल्कि इसे पहाड़ों में पहचानने योग्य भी बनाते हैं।
अनोखा व्यवहार और बुद्धिमत्ता:
केआ अत्यंत चतुर और खेलप्रिय पक्षी हैं। ये जटिल समस्याओं को हल कर सकते हैं, औज़ारों का उपयोग कर सकते हैं और कभी-कभी केवल खेलने के लिए भी नई चीज़ें खोजते हैं। शोधों के अनुसार, उनकी बुद्धिमत्ता लगभग चार साल के बच्चे के बराबर मानी जाती है। पर्यटक और शोधकर्ता अक्सर इनके हंसमुख और शरारती व्यवहार से मोहित हो जाते हैं।

आवास और जीवनशैली:
केआ न्यूज़ीलैंड के साउथ आइलैंड के ऊँचे और ठंडे पर्वतीय क्षेत्रों में रहते हैं। इनके प्रमुख आवास हैं: साउदर्न आल्प्स और फियोर्डलैंड। ये क्षेत्र घने बीच जंगलों, बर्फ से ढके पर्वत और कठोर जलवायु के लिए जाने जाते हैं। इन परिस्थितियों में जीवित रहना केआ के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन उनकी अनोखी अनुकूलन क्षमता इन्हें जीवित रखती है।
आहार और खाने की आदतें:
केआ सर्वाहारी हैं और इनका आहार बेहद विविध है। ये जड़ें, पत्तियाँ, जामुन, नेктар, कीड़े और कभी-कभी मरे हुए जानवर भी खाते हैं। कठिन मौसम और सीमित संसाधनों के बावजूद ये अपने आहार को लेकर लचीले और अनुकूलनशील हैं।
संरक्षण की स्थिति और खतरे:
केआ अब “राष्ट्रीय रूप से संकटग्रस्त” पक्षी माने जाते हैं। उनके सामने मुख्य खतरे हैं:
- जंगलों और आवासों का विनाश
- विदेशी जानवरों से शिकार और हमला
- मानव हस्तक्षेप, जैसे कि भोजन के लिए फंसाना
- लेड विषाक्तता
संरक्षण प्रयास लगातार जारी हैं, जिसमें इनकी संख्या बढ़ाने और उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखने की कोशिशें शामिल हैं।
सांस्कृतिक महत्व:
माओरी संस्कृति में केआ बुद्धिमत्ता और जिजीविषा का प्रतीक है। लोककथाओं में इसकी शरारती हरकतों का ज़िक्र मिलता है, जो इसे केवल एक पक्षी नहीं बल्कि सांस्कृतिक धरोहर भी बनाता है।
हमारी भूमिका और मदद कैसे करें:
- जिम्मेदार पर्यटन अपनाएं और इनके आवासों में हस्तक्षेप न करें।
- केआ संरक्षण ट्रस्ट जैसी संस्थाओं का समर्थन करें।
- दूसरों को भी केआ और इसके संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूक करें।
निष्कर्ष:
केआ केवल एक पक्षी नहीं, बल्कि न्यूज़ीलैंड की अल्पाइन दुनिया का एक जीवित प्रतीक है। इसकी बुद्धिमत्ता, शरारत और अनोखी जीवनशैली इसे खास बनाती है। यदि संरक्षण में देरी हुई, तो यह अद्वितीय पक्षी भविष्य में विलुप्त होने के कगार पर पहुँच सकता है। इसे बचाना हमारी जिम्मेदारी है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसके अद्भुत व्यवहार और खूबसूरती का अनुभव कर सकें।
