Mumbai’s Old British-Era Bridge Renamed After Operation Sindoor – Find Out Which One!
मुंबई का ऐतिहासिक कार्नक रोड ओवर ब्रिज (ROB) अब सिंदूर ब्रिज के नाम से जाना जाएगा। महाराष्ट्र सरकार ने 2025 में इस बदलाव की घोषणा की, ताकि भारत की महत्वपूर्ण सैन्य मिशन ऑपरेशन सिंदूर को सम्मानित किया जा सके। नए सिरे से पुनर्निर्मित ब्रिज अब आधुनिक संरचना, राष्ट्रीय गर्व और भारतीय सशस्त्र बलों के सम्मान का प्रतीक बन गया है।
पहले कार्नैक ब्रिज के नाम से जाना जाता था। इसका यह नाम 1839 से 1841 तक इस पद पर रहे पूर्व बांबे प्रांत के गवर्नर जेम्स रिवेट कार्नैक के नाम पर रखा गया था। अब इसी पुल को ऑपरेशन सिंदूर के बाद ‘सिंदूर ब्रिज’ के नाम से पुन: नामित किया गया है।
कार्नक ब्रिज का इतिहास
कार्नक ब्रिज ब्रिटिश काल में लगभग 150 साल पहले बना था। यह छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) के आसपास व्यस्त इलाकों को जोड़ता था और मुंबई के यातायात नेटवर्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। पुराने ब्रिज की कमजोर संरचना और सुरक्षा चिंताओं के कारण इसे ध्वस्त कर पुनर्निर्मित किया गया और अब यह आधुनिक तकनीक और मजबूती के साथ तैयार है।
सिंदूर ब्रिज क्यों हुआ नामित?
ब्रिज का नामकरण ऑपरेशन सिंदूर की याद में किया गया, जो 2025 में भारत की एक महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाई थी। इस कदम के जरिए राज्य सरकार ने नागरिकों की रोज़मर्रा की जिंदगी में देशभक्ति और सैनिकों के योगदान को यादगार बनाया।
सिंदूर ब्रिज की खासियतें
- आधुनिक निर्माण: ब्रिज को उन्नत इंजीनियरिंग तकनीक से बनाया गया है, ताकि मुंबई के बढ़ते यातायात को संभाला जा सके।
- सुरक्षा सुधार: पुराने ब्रिटिश-era ब्रिज की तुलना में यह मजबूत, चौड़ा और सुरक्षित है।
- रणनीतिक स्थान: CSMT के आसपास दक्षिण मुंबई के महत्वपूर्ण इलाकों को जोड़ता है।
- देशभक्ति का प्रतीक: ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय सेना को समर्पित, ब्रिज का नाम सैनिकों के योगदान का सम्मान करता है।
- शहरी विकास: मुंबई के पुरानी संरचनाओं को आधुनिक बनाकर सुरक्षित करने की परियोजनाओं का हिस्सा।
- बेहतर कनेक्टिविटी: प्रमुख व्यापारिक और आवासीय क्षेत्रों को जोड़ता है, जिससे यात्रा समय कम होता है और सामान व लोगों की आवाजाही सुचारू होती है।
- आधुनिक डिजाइन: शहरी सौंदर्य और कार्यक्षमता का संगम, मुंबई की स्काईलाइन को और खूबसूरत बनाता है।
मुंबई के लिए महत्व
- बेहतर यातायात प्रवाह: ब्रिज से दक्षिण मुंबई के भीड़भाड़ वाले इलाके में यातायात सुचारू होता है।
- भारतीय सेना को सम्मान: ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े नाम के जरिए यह ब्रिज देशभक्ति का प्रतीक बन गया है।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: बेहतर कनेक्टिविटी से व्यापार और माल-ढुलाई में सुविधा होती है।
- नए भारत का प्रतीक: सिंदूर ब्रिज केवल यात्रा का साधन नहीं, बल्कि भारत की आधुनिक विकास यात्रा और सैनिकों के प्रति सम्मान का आइकन भी है।
