December 31, 2025
Night Parrot Rediscovered: The ‘Extinct’ Australian Bird That Survived 100 Years in Hiding

Night Parrot Rediscovered: The ‘Extinct’ Australian Bird That Survived 100 Years in Hiding

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ऑस्ट्रेलिया का आंतरिक इलाका अपनी कठोर जलवायु और रहस्यमयी वन्यजीवों के लिए जाना जाता है। इन्हीं में से एक है नाइट पैरट (Pezoporus occidentalis) – एक छोटा, हरा-पीला तोता जिसे कभी दुनिया का सबसे रहस्यमयी पक्षी कहा जाता था। यह पक्षी करीब सौ साल तक वैज्ञानिकों की नज़रों से ओझल रहा और इसे लगभग विलुप्त मान लिया गया था। लेकिन हाल के वर्षों में इसके पुनः देखे जाने की घटनाओं ने वैज्ञानिक समुदाय को उत्साहित कर दिया है।

रहस्य से घिरा पक्षी

नाइट पैरट की आदतें इसे दुनिया के सबसे पकड़ में न आने वाले पक्षियों में शामिल करती हैं।

  • यह पूरी तरह रात्रिचर (Nocturnal) है यानी केवल रात में सक्रिय रहता है।
  • दिनभर यह घनी रेगिस्तानी घास में छिपा रहता है, जिससे इसे पहचानना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
  • इसके हरे और पीले पंख इसे घास में घुला मिला देते हैं, मानो यह प्रकृति में अदृश्य हो गया हो।

इतिहास: विलुप्ति की कगार से वापसी

  • 19वीं और 20वीं सदी की शुरुआत में नाइट पैरट के कुछ नमूने वैज्ञानिकों के हाथ लगे थे।
  • उसके बाद यह पक्षी इतना दुर्लभ हो गया कि 1912 के बाद लंबे समय तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला।
  • करीब 100 वर्षों तक इसे “विलुप्त” माना गया।
  • लेकिन 2013 में पश्चिमी क्वींसलैंड में इसकी तस्वीरें और कॉल रिकॉर्ड किए गए। यही वह क्षण था जिसने साबित किया कि यह प्रजाति अब भी ज़िंदा है।

संरक्षण की चुनौतियाँ

नाइट पैरट का अस्तित्व अब भी बेहद नाज़ुक स्थिति में है।

  1. निगरानी मुश्किल – रात में सक्रिय रहने और दिन में छिपे रहने की आदत इसकी खोज को जटिल बनाती है।
  2. आवास का संकट – रेगिस्तानी इलाकों में मानव गतिविधि, खनन और जलवायु परिवर्तन इसके निवास स्थान को प्रभावित कर रहे हैं।
  3. शिकारी जानवर – जंगली बिल्लियाँ और लोमड़ियाँ इसके लिए गंभीर खतरा हैं।
  4. जनसंख्या का आकार – वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इनकी संख्या बहुत कम रह गई है और यह बिखरे हुए छोटे समूहों में मौजूद हैं।

वैज्ञानिकों की राय

ऑस्ट्रेलिया के वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि नाइट पैरट की पुनः खोज हमें प्रकृति की दृढ़ता और रहस्यों की याद दिलाती है।
एक पक्षी वैज्ञानिक ने कहा – “हमने इसे खोया हुआ मान लिया था, लेकिन यह अब भी हमारे साथ है। यह सबक है कि हमें हर प्रजाति के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए।”

उम्मीद की किरण

इस पक्षी की मौजूदगी ने संरक्षणवादियों को प्रेरित किया है। इसके लिए विशेष संरक्षित क्षेत्र बनाए जा रहे हैं और आधुनिक तकनीक जैसे मोशन-डिटेक्शन कैमरे और ऑडियो रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल कर इनकी निगरानी की जा रही है।

निष्कर्ष

नाइट पैरट की कहानी हमें यह सिखाती है कि प्रकृति के रहस्य अब भी जीवित हैं और यदि इंसान प्रयास करे तो विलुप्त मान ली गई प्रजातियाँ भी जीवन का नया अवसर पा सकती हैं। ऑस्ट्रेलिया का यह रहस्यमयी तोता न केवल पक्षी प्रेमियों के लिए आकर्षण का विषय है, बल्कि संरक्षण की महत्ता का भी प्रतीक बन चुका है।

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